“तेरी राहों में इंतज़ार करेंगे, चाहे सदियाँ ही क्यों न लग जाएँ,
तेरी यादों का बोझ कभी कम न हुआ, डर है कहीं हम ही ठिकाने लग जाएँ।”
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